मऊरानीपुर। भगवान श्रीकृष्ण जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा व्यास पंडित आनंद भूषण महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। कथा में मुख्य यजमान साधना हर्षवर्धन सिंह ने पूजन अर्चन कर कथा को श्रवण किया। ग्राम घाटकोटरा के कारस देव मंदिर प्रांगण पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को कथा व्यास ने बेहद संजीदगी के साथ सुनाया।
कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी,तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई,तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा का संगीतमयी वर्णन सुन श्रोता झूमने लगे पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा। श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। भागवत पंडाल में मौजूद श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी और मिठाईयां बांटी। इस दौरान ग्राम व क्षेत्र के सैकड़ों भगवत श्रोता मौजूद रहे ।
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